फल खाने वाले चमगादड़ों से फैला था निपाह

फल खाने वाले चमगादड़ों से फैला था निपाह

सेहतराग टीम

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने आखिरकार ये पुष्टि कर दी है कि केरल के दो जिलों में कई जान लेने वाला निपाह वायरस चमगादड़ों से ही फैला था मगर ये चमगादड़ कीटभक्षी नहीं बल्कि फल खाने वाले थे। गौरतलब है कि साल की शुरुआत में दोनों जिलों में इस विषाणु (वायरस) के चलते 17 लोगों की मौत हो गई थी। 

हालांकि, शुरुआत में एक केंद्रीय मेडिकल टीम ने इस बात से इनकार किया था कि निपाह वायरस के संक्रमण के लिए चमगादड़ प्राथमिक स्रोत हैं। इससे पहले, केरल के दोनों जिलों से एकत्र किए गए चमगादड़ों के नमूनों की जांच नकारात्मक पाई गई थी। 

बाद में, एक अन्य मेडिकल टीम ने केंद्रीय मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा कि निपाह का स्रोत चमगादड़ों के होने की बात से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि नमूने कीटभक्षी चमगादड़ों से एकत्र किए गए, जो निपाह के वाहक के तौर पर नहीं जाने जाते हैं।

वहीं, दूसरे दौर में फल खाले वाले 55 चमगादड़ों के नमूने सकारात्मक पाए गए, जिससे इस बात की पुष्टि हुई कि वे कोझीकोड और मलप्पुरम जिलों में निपाह वायरस से होने वाले संक्रमण के स्रोत थे।

निपाह वायरस पहली बार 1998 में मलेशिया के कामपुंग सुंगाई निपाह में दर्ज किया गया था। निपाह के संक्रमण के इलाज के लिए कोई टीका या दवा नहीं है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक इस वायरस की चपेट में आने वाले लोगों में शुरूआती लक्षण के तौर पर बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उलटी होना और गले में दर्द है। कुछ लोगों में सांस लेने की समस्या भी देखी जाती है।

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